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Ishq Pe Kavita Hindi Me - आप हाकिम है आप है हुक्मरान | Hindi Love Poem | Hindi Love Poetry

Ishq Pe Kavita Hindi Me - आप हाकिम है आप है हुक्मरान | Hindi Love Poem | Hindi Love Poetry Ishq Pe Kavita Hindi Me - आप हाकिम है आप है हुक्मरान | Hindi Love Poem | Hindi Love Poetry इश्क़ गर इनायत है उस खुदा की तो कैसे मैं खतावार हुई सिर्फ़ आप ही की ही मुजरिम हूँ जहाँ की मैं कैसे गुनहगार हुई बेकसी का अब ये आलम है वही ख़ता हमसे बार बार हुई उस सिलसिले को कैसे ग़लत कह दूँ जिसको दोहराने की रूह तलबगार हुई ज़िंदगी आप ही की अमानत है चाहे इस पार या उस पार हुई ज़माना उस मंज़र पे रशक खाएगा मुलाक़ात जो किसी सूरत ए हाल हुई आप हाकिम है आप है हुक्मरान दे दे सज़ा गर में खतावार हुई ।। ~ Kosain Gour

Hindi Poem on Nature - तेरे घर का पता। | Nature's Poem

Hindi Poem on Nature - तेरे घर का पता। | Nature's Poem

Hindi Poem on Nature - तेरे घर का पता। | Nature's Poem
Hindi Poem on Nature - तेरे घर का पता। | Nature's Poem

 खुश होती हूं देखकर प्रकृति के नजरे,

शुक्रगुजर हूं उस खुदा का जिसने बनाये  ये चांद और तारे,
चांद की चांदनी फैली कुछ इस कदर
अचानक से लगने लगा मुझे डर।
 वो डर किस बात का था , ये मुझे नहीं पता।
शायद मैंने कर दी थी कोई खाता
 भूल कर खुद को ढूंढने  लगी अपने घर का पता 
पूछती हूं जमीन और आसमान से 
क्या तुझे कुछ पता?
क्या जनती है तू मेरे घर का पता?
 चांद तो खुद को छुपा लिया बदलो में, जैसा कह रहा हो मुझे नहीं पता तेरे घर का पता।



~ Jyoti Mishra

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