Skip to main content

Featured

Ishq Pe Kavita Hindi Me - आप हाकिम है आप है हुक्मरान | Hindi Love Poem | Hindi Love Poetry

Ishq Pe Kavita Hindi Me - आप हाकिम है आप है हुक्मरान | Hindi Love Poem | Hindi Love Poetry Ishq Pe Kavita Hindi Me - आप हाकिम है आप है हुक्मरान | Hindi Love Poem | Hindi Love Poetry इश्क़ गर इनायत है उस खुदा की तो कैसे मैं खतावार हुई सिर्फ़ आप ही की ही मुजरिम हूँ जहाँ की मैं कैसे गुनहगार हुई बेकसी का अब ये आलम है वही ख़ता हमसे बार बार हुई उस सिलसिले को कैसे ग़लत कह दूँ जिसको दोहराने की रूह तलबगार हुई ज़िंदगी आप ही की अमानत है चाहे इस पार या उस पार हुई ज़माना उस मंज़र पे रशक खाएगा मुलाक़ात जो किसी सूरत ए हाल हुई आप हाकिम है आप है हुक्मरान दे दे सज़ा गर में खतावार हुई ।। ~ Kosain Gour

Hindi Poem for First Love - आज फिर यादों का संदूक खोला | Breakup Poem

Hindi Poem for First Love - आज फिर यादों का संदूक खोला | Breakup Poem

Hindi Poem for First Love - आज फिर यादों का संदूक खोला | Breakup Poem
Hindi Poem for First Love - आज फिर यादों का संदूक खोला | Breakup Poem



आज फिर यादों का संदूक खोला
तो कुछ ख़त निकले

कुछ तम्मन्नाए बिखरी
एक सूखी गुलाब की पंखुड़ी निकली

कुछ कच्चे पक्के वादे निकले
कुछ झूठी सच्ची यादें निकली

वो अलहड़पन की बेबाक़ हँसी
और वो मस्त मलँग सी बातें निकली

तुम्हारे कानो का झूमर निकला
और पाज़ेब की वो खनखन बिखरी

नयनों का काजल  भी बिखरा
होंठो की वो मुसकान भी बिखरी

वो चाँद के अंचल तले
क़ी थी जो कितनी बातें निकली

आज फिर यादों का संदूक खोला
कुछ ख़त निकले कुछ यादें बिखरी


~ Priti Mishra


दोस्तों! उम्मीद करती हूं  कि आपको Hindi Poem for First Love - आज फिर यादों का संदूक खोला | Breakup Poemअच्छी लगी होगी. यदि आप का इस Poem Hindi Poem for First Love - आज फिर यादों का संदूक खोला, से संबंधित कोई सुझाव है, तो नीचे कमेंट के माध्यम से हमसे साझा करे । अगर आपको यह पसंद आई हो तो अपने दोस्तों रिश्तेदारो के साथ सोशल मीडिया पर शेयर करें. आप आगे भी ऐसे लेख पढ़ना चाहते हैं, तो आप हमारे ब्लॉग  Poetrycock - Hindi Poetry blog पर आते रहिए.

Comments