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Ishq Pe Kavita Hindi Me - आप हाकिम है आप है हुक्मरान | Hindi Love Poem | Hindi Love Poetry

Ishq Pe Kavita Hindi Me - आप हाकिम है आप है हुक्मरान | Hindi Love Poem | Hindi Love Poetry Ishq Pe Kavita Hindi Me - आप हाकिम है आप है हुक्मरान | Hindi Love Poem | Hindi Love Poetry इश्क़ गर इनायत है उस खुदा की तो कैसे मैं खतावार हुई सिर्फ़ आप ही की ही मुजरिम हूँ जहाँ की मैं कैसे गुनहगार हुई बेकसी का अब ये आलम है वही ख़ता हमसे बार बार हुई उस सिलसिले को कैसे ग़लत कह दूँ जिसको दोहराने की रूह तलबगार हुई ज़िंदगी आप ही की अमानत है चाहे इस पार या उस पार हुई ज़माना उस मंज़र पे रशक खाएगा मुलाक़ात जो किसी सूरत ए हाल हुई आप हाकिम है आप है हुक्मरान दे दे सज़ा गर में खतावार हुई ।। ~ Kosain Gour

Hindi Poem on Nature - "निराश" - Environment day special | Nature's Poem

Hindi Poem on Nature - "निराश"- Environment day special | Nature's Poem

Hindi Poem on Nature - "निराश" - Environment day special | Nature's Poem
 Hindi Poem on Nature - "निराश" - Environment day special | Nature's Poem



खड़ी हूं मैं नदी के किनारे,

 देखकर बहुत खुश हूं आसमान के तारे ।

 ऐसे चमके जैसे आसमान में हो कोई बल्ब

 फिर जब मैं देखती हूं नीचे

 तो दिखे वह लहर।

 देखते देखते सोचती हूं यह वक्त क्यों नहीं जाता ठहर ।
फिर मैं हंसती हूं तो होती है बारिश 
,लगती है फूल मुस्काने 
 फिर वह देखती है मेरे उमंग को 
और लगती है मुझे समझाने 
कि "मत खुश हो , यह तो है संसार की माया" ।
फिर मैं झट से बोलूं "मत दो मुझे अपनी छाया "।
मेरे इस वाक्य ने उसका दिल दुखा दिया 
,एक बुलडोजर आया और उसको सफा किया ।
ना केवल उसके पत्ते टूटे , हुआ उसको और उसके आसपास के पेड़ों को हानि
 तब जाकर इस कुदरती करिश्मा और इंसान की करतूत को मैं कुछ-कुछ जानी 
यह भूख मेरी कभी खत्म नहीं होगी क्योंकि हूं मैं एक इंसान ।
क्या हम कभी नहीं समझेंगे कि "यह पेड़- पौधे भी हैं हमारी तरह भगवान के संतान ?
 यह पेड़ -पौधे कभी नहीं करेंगे हम पर विश्वास ।
क्योंकि वे जानते हैं कि हमेशा की तरह हम करेंगे उन्हें "निराश"
!

~ Priti Mishra

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