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Ishq Pe Kavita Hindi Me - आप हाकिम है आप है हुक्मरान | Hindi Love Poem | Hindi Love Poetry

Ishq Pe Kavita Hindi Me - आप हाकिम है आप है हुक्मरान | Hindi Love Poem | Hindi Love Poetry Ishq Pe Kavita Hindi Me - आप हाकिम है आप है हुक्मरान | Hindi Love Poem | Hindi Love Poetry इश्क़ गर इनायत है उस खुदा की तो कैसे मैं खतावार हुई सिर्फ़ आप ही की ही मुजरिम हूँ जहाँ की मैं कैसे गुनहगार हुई बेकसी का अब ये आलम है वही ख़ता हमसे बार बार हुई उस सिलसिले को कैसे ग़लत कह दूँ जिसको दोहराने की रूह तलबगार हुई ज़िंदगी आप ही की अमानत है चाहे इस पार या उस पार हुई ज़माना उस मंज़र पे रशक खाएगा मुलाक़ात जो किसी सूरत ए हाल हुई आप हाकिम है आप है हुक्मरान दे दे सज़ा गर में खतावार हुई ।। ~ Kosain Gour

Hindi Poetry about Love - बड़ा मासूम आशिक है उसे चालाक मत कहिये | Hindi Poetry of Love

Hindi Poetry about Love - बड़ा मासूम आशिक है उसे चालाक मत कहिये | Hindi Poetry of Love 

Hindi Poetry about Love - बड़ा मासूम आशिक है उसे चालाक मत कहिये | Hindi Poetry of Love
Hindi Poetry about Love - बड़ा मासूम आशिक है उसे चालाक मत कहिये | Hindi Poetry of Love


बड़ा मासूम आशिक है उसे चालाक मत कहिये ।

मुहब्बत के इरादों को अभी नापाक मत कहिये ।।

है उसने पैंतरा बदला नजर सहमी सी है उसकी ।
अभी उल्फ़त के मंजर में उसे बेबाक मत कहिये ।।

उछाला आपने कीचड़ किसी बेदाग़ दामन पर ।
मुकम्मल बच गयी है आपकी यह नाक मत कहिये ।।

हमें मालूम है लंगर चलेगा आपका लेकिन ।
मिलेगी पेट भर हमको यहाँ खूराक मत कहिये ।।

जो अक्सर साहिलों पर डूबता देखा गया आलिम ।
उसे दरिया के पानी का अभी तैराक मत कहिये ।।

यहां तो असलियत मालूम है हर आदमी की अब ।
पहन रक्खी जो भाड़े की उसे पोशाक मत कहिये ।।

मियाँ हम आपके जुमलों को अब पहचान लेते हैं ।
जमा ली आपने हम पर भी कोई धाक मत कहिये ।।

अभी तो हौसले जिन्दा हैं साहब जंग के लायक ।
हमारे इन इरादों को अभी से ख़ाक मत कहना ।

बड़ा मासूम आशिक है उसे चालाक मत कहिये ।

मुहब्बत के इरादों को अभी नापाक मत कहिये ।।



~ Kosain Gour 

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