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Ishq Pe Kavita Hindi Me - आप हाकिम है आप है हुक्मरान | Hindi Love Poem | Hindi Love Poetry

Ishq Pe Kavita Hindi Me - आप हाकिम है आप है हुक्मरान | Hindi Love Poem | Hindi Love Poetry Ishq Pe Kavita Hindi Me - आप हाकिम है आप है हुक्मरान | Hindi Love Poem | Hindi Love Poetry इश्क़ गर इनायत है उस खुदा की तो कैसे मैं खतावार हुई सिर्फ़ आप ही की ही मुजरिम हूँ जहाँ की मैं कैसे गुनहगार हुई बेकसी का अब ये आलम है वही ख़ता हमसे बार बार हुई उस सिलसिले को कैसे ग़लत कह दूँ जिसको दोहराने की रूह तलबगार हुई ज़िंदगी आप ही की अमानत है चाहे इस पार या उस पार हुई ज़माना उस मंज़र पे रशक खाएगा मुलाक़ात जो किसी सूरत ए हाल हुई आप हाकिम है आप है हुक्मरान दे दे सज़ा गर में खतावार हुई ।। ~ Kosain Gour

Breakup Poem in Hindi for Girlfriend - रोज़ आते हो तुम ख़्यालो में | Hindi Breakup Poem | Sad Poetry

Breakup Poem in Hindi for Girlfriend - रोज़ आते हो तुम ख़्यालो में | Hindi Breakup Poem | Sad Poetry

Breakup Poem in Hindi for Girlfriend - रोज़ आते हो तुम ख़्यालो में | Hindi Breakup Poem | Sad Poetry
Breakup Poem in Hindi for Girlfriend - रोज़ आते हो तुम ख़्यालो में | Hindi Breakup Poem | Sad Poetry

रोज़ आते हो तुम ख़्यालो में
हक़ीक़त में भी कभी आ जाओकि तुम्हारे प्यार के आँचल के तले
दुनिया मेरी भी कुछ सुकूँ पाए


महक उठे ये समा फिर से

फिर से गुलशन में भी बहारा हो

दिल के ज़ख़्मों को कुछ सुकून सा मिले

मेरी दुनिया में भी नज़ारा हो

फिर से कलियों पे निखार आ जाए

फिर से फूलो पे बहार आ जाए

चराग फिर से झिलमिलाने लगे

जुगनूओं का सा हर नजारा हो
फिर से होंठो पे मुस्कुराहट हो

आँखो में हया झलकाए

फिर से लहजे में वही नरमी हो

कि कोयले भी जिससे शर्माए

फिर से ज़हन पे सूरूर तारी हो

फिर से इस दिल में सुकून भारी हो

लहू में फिर से वो रवानी हो

जिसके आगे जहाँ झुक जाए 

रोज़ आते हो तुम ख़्यालो में
हक़ीक़त में भी कभी आ जाओकि तुम्हारे प्यार के आँचल के तले
दुनिया मेरी भी कुछ सुकूँ पाए


 
~ Kosain Gour 

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