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Ishq Pe Kavita Hindi Me - आप हाकिम है आप है हुक्मरान | Hindi Love Poem | Hindi Love Poetry

Ishq Pe Kavita Hindi Me - आप हाकिम है आप है हुक्मरान | Hindi Love Poem | Hindi Love Poetry Ishq Pe Kavita Hindi Me - आप हाकिम है आप है हुक्मरान | Hindi Love Poem | Hindi Love Poetry इश्क़ गर इनायत है उस खुदा की तो कैसे मैं खतावार हुई सिर्फ़ आप ही की ही मुजरिम हूँ जहाँ की मैं कैसे गुनहगार हुई बेकसी का अब ये आलम है वही ख़ता हमसे बार बार हुई उस सिलसिले को कैसे ग़लत कह दूँ जिसको दोहराने की रूह तलबगार हुई ज़िंदगी आप ही की अमानत है चाहे इस पार या उस पार हुई ज़माना उस मंज़र पे रशक खाएगा मुलाक़ात जो किसी सूरत ए हाल हुई आप हाकिम है आप है हुक्मरान दे दे सज़ा गर में खतावार हुई ।। ~ Kosain Gour

Sad Hindi Poem - किसी के इंतज़ार में | Hindi Alone Shayari

Sad Hindi Poem - किसी के इंतज़ार में | Hindi Alone Shayari 

Sad Hindi Poem - किसी के इंतज़ार मेंSad Hindi Poem - किसी के इंतज़ार में | Hindi Alone Shayari
Sad Hindi Poem - किसी के इंतज़ार में | Hindi Alone Shayari 

हर शाम एक कसक एक तडप 

एक बेक़रारी क्यों रहती है।

किसी के इंतज़ार में
इक ख़ुमारी सी कयों रहती है।
दिल क्यों हर शाम मदहोशी के
आलम में
किसी को ढूँढा क्यों करता है।

तमन्नाए क्यों साँझ ढले
बेबस होती है।
हसरतें क्यों हर रोज़
नए अरमा संजोती है।

किसी की याद क्यों हर वक़्त
नए जामे बदलती है।
इस दिल में खवाहिशे
क्यों हर शाम करवट
बदलती है।

हर रात खाब में
तुम क्यों चले आते हो
और मेरी आँखे हर वक़्त
वही सपने क्यों संजोती है।


~ Priti Mishra


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